हैं कच्चे ऐसे नादान हमसे बीई इस जग में
आज़माऐ होवं को जो आज़माते हैं बार-बार
हर बार यक़ीन होता है कि बदल जाऐंगे वे
बेला बेओत भी निकले हैं कभी जिस्म में हलूल होजाने के बाद?
और जिस किसी ने कहा था कि कुत्ते की दम रहती है टेढ़ी हज़ार बरस बाद भी
शख़्स तेआ वे वाक़ई कोई बहुत ही अफ़लातून जैसा
आज़माऐ होवं को जो आज़माते हैं बार-बार
हर बार यक़ीन होता है कि बदल जाऐंगे वे
बेला बेओत भी निकले हैं कभी जिस्म में हलूल होजाने के बाद?
और जिस किसी ने कहा था कि कुत्ते की दम रहती है टेढ़ी हज़ार बरस बाद भी
शख़्स तेआ वे वाक़ई कोई बहुत ही अफ़लातून जैसा
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