कहीं आॶं या फिर जाॶं, सेल्फी लेता हूँ
मैं जो भी गुल खिलाॶं, सेल्फी लेता हूँ
हुसूल है जन्नत का, माँ बाप की ख़िदमत
पाॶं उनके जब दबाॶं, सेल्फी लेता हूँ
सफ़ाई में दाँतों की, चाहे हफ़्ते गुज़ार दूं
पेस्ट बरशश पे जब लगाॶं, सेल्फी लेता हूँ
बीवी हो मतमन मेरी, पक्के सबूत से
खाना जो दोस्तों में खाॶं, सेल्फी लेता हूँ
सलाम लूं या ना लूं, अज़ीज़-ओ-अका़रिब से
मगर फंक्शन में जब भी जाॶं, सेल्फी लेता हूँ
फ़िक्र आख़िरत के लिए करता हूँ, टैग सभी दोस्त
जनाज़ा जब भी कोई उठाॶं, सेल्फी लेता हूँ
मैं जो भी गुल खिलाॶं, सेल्फी लेता हूँ
हुसूल है जन्नत का, माँ बाप की ख़िदमत
पाॶं उनके जब दबाॶं, सेल्फी लेता हूँ
सफ़ाई में दाँतों की, चाहे हफ़्ते गुज़ार दूं
पेस्ट बरशश पे जब लगाॶं, सेल्फी लेता हूँ
बीवी हो मतमन मेरी, पक्के सबूत से
खाना जो दोस्तों में खाॶं, सेल्फी लेता हूँ
सलाम लूं या ना लूं, अज़ीज़-ओ-अका़रिब से
मगर फंक्शन में जब भी जाॶं, सेल्फी लेता हूँ
फ़िक्र आख़िरत के लिए करता हूँ, टैग सभी दोस्त
जनाज़ा जब भी कोई उठाॶं, सेल्फी लेता हूँ
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